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रेयर अर्थ को लेकर चीन ने कर दिया खेल, भारत की बढ़ेगी मुसीबत!

चीन आज दुनिया में रेयर अर्थ मिनरल्स (यानि दुर्लभ खनिजों) का सबसे बड़ा खिलाड़ी है. ये खनिज मोबाइल, कंप्यूटर, बैटरी, इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ और सोलर पैनल जैसी आधुनिक चीज़ों के लिए बेहद जरूरी होते हैं. अब चीन ने इन खनिजों पर और ज्यादा नियंत्रण पाने के लिए म्यांमार के उत्तरी हिस्से में सक्रिय विद्रोहियों से हाथ मिला लिया है. म्यांमार का कचिन इलाका रेयर अर्थ मिनरल्स से भरपूर है. पहले ये इलाका म्यांमार की सरकार के कंट्रोल में था, लेकिन अब वहां कचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (KIA) और कचिन इंडिपेंडेंस ऑर्गनाइजेशन (KIO) जैसे विद्रोही संगठन काबिज़ हैं.

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने इन विद्रोही गुटों के साथ चुपचाप समझौते किए हैं. इसके तहत चीन को खनन करने की छूट मिल गई है और बदले में वह विद्रोहियों को मोटी रकम टैक्स के तौर पर देता है. इस तरह चीन म्यांमार के अस्थिर और संवेदनशील इलाके से बड़े पैमाने पर रेयर अर्थ खनिज निकाल रहा है और ये खनिज भारत की सीमा के काफी नजदीक से होकर चीन पहुंचाए जा रहे हैं.

म्यांमार की खदानों पर चीन का कब्ज़ा

साल 2021 में म्यांमार में जब सैन्य तख्तापलट हुआ, तो उसके बाद सिर्फ चार साल में वहां करीब 240 नई खदानें खोली गईं. हैरानी की बात ये है कि इन खदानों में से दो-तिहाई विद्रोही इलाकों में हैं और यही चीन के लिए जैकपॉट साबित हो रहा है. अब तक चीन म्यांमार से 1,70,000 टन से ज्यादा रेयर अर्थ खनिज आयात कर चुका है. ये खनिज चीन की तकनीक और इंडस्ट्री के लिए बेहद जरूरी हैं.

कुछ वक्त पहले कचिन विद्रोही संगठन KIO ने इन खदानों पर कब्ज़ा कर चीन को सप्लाई रोक दी थी. लेकिन ज्यादा दिन तक ये रोक टिक नहीं पाई. जल्द ही चीन समर्थक मिलिशिया ने दोबारा इन खदानों पर कब्जा कर लिया और खनिज की सप्लाई फिर से शुरू हो गई. KIO का कहना है कि उन्हें चीन के साथ किसी टैक्स डील की जानकारी नहीं है. लेकिन सच्चाई ये है कि चीन की खनन कंपनियों ने विद्रोहियों से चुपचाप सौदा कर लिया है. ये सब कुछ पर्दे के पीछे हो रहा है, ताकि चीन को लगातार खनिज की सप्लाई मिलती रहे.

भारत के लिए म्यांमार से खनिज लाना आसान नहीं है

हाल ही में खबर आई कि भारत अब रेयर अर्थ खनिजों के लिए म्यांमार की तरफ देख रहा है. सरकार सीधे म्यांमार की सरकार से नहीं, बल्कि वहां के एक विद्रोही संगठन कचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (KIA) से डील करने की तैयारी में है.

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत KIA की मदद से म्यांमार से रेयर अर्थ मिनरल्स के सैंपल इकट्ठा कर रहा है. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि भारत की माइनिंग मिनिस्ट्री ने सरकारी और प्राइवेट कंपनियों को कहा है कि वे म्यांमार के कचिन इलाके में मौजूद खदानों से सैंपल लें और यह भी देखें कि वहां से खनिज लाकर ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है या नहीं.

इनमें दो कंपनियों का नाम सामने आया है

  1. सरकारी कंपनी IREL
  2. प्राइवेट कंपनी Midwest Advanced Materials, जिसे पिछले साल रेयर अर्थ मैग्नेट बनाने के लिए सरकारी फंड मिला था.

लेकिन भारत के लिए इन खदानों से खनिज निकालना इतना आसान नहीं है. ये इलाके घने जंगलों में हैं और चीन की सीमा के बिलकुल करीब पड़ते हैं. चीन नहीं चाहता कि भारत को इन खनिजों की सप्लाई मिले, इसलिए वह हर तरह से अड़ंगा लगाने की कोशिश करेगा. भारत ने अभी शुरुआती तौर पर खनिजों के नमूने इकट्ठा करने का काम शुरू किया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वहां कितनी मात्रा में और कितनी गुणवत्ता वाले खनिज मौजूद हैं. विद्रोही संगठन ने भी इस काम के लिए हां कह दी है. लेकिन अभी बड़े पैमाने पर खनन और सप्लाई शुरू होने में काफी वक्त लगेगा. यानी कह सकते हैं कि फिलहाल ये सिर्फ एक शुरुआत है, मंज़िल अभी दूर है.

परेशान हो रहे हैं स्थानीय लोग

म्यांमार के विद्रोही इलाकों में खनन का काम अब पूरी तरह से स्थानीय लोगों के भरोसे छोड़ा जा रहा है, और ये सब चीन की कंपनियां करवा रही हैं. खनन के दौरान बहुत ज़्यादा प्रदूषण फैलता है. जहरीले केमिकल्स नदियों और जमीन में घुल रहे हैं, जिससे आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों की ज़िंदगी खराब हो गई है. खेती-बाड़ी मुश्किल हो गई है और पीने का पानी तक साफ नहीं बचा. ग्लोबल विटनेस की रिपोर्ट कहती है कि चीन की चाल से म्यांमार के गरीब और आदिवासी समुदाय बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं. ये वही लोग हैं जो दुनिया की “ग्रीन एनर्जी” यानी साफ-सुथरी बिजली की दौड़ की कीमत चुका रहे हैं.

हर तरफ से अपना फायदा निकाल रहा है चीन

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने SCO समिट में म्यांमार के सैन्य शासक मिन आंग ह्लाइंग से मुलाकात की. बातचीत में रक्षा और सीमा सुरक्षा के मुद्दों पर बात हुई. लेकिन असली दिक्कत ये है कि म्यांमार की हालत और ज्यादा उलझती जा रही है और इसके पीछे चीन का हाथ है. चीन एक तरफ म्यांमार की सरकार से मिला हुआ है, और दूसरी तरफ वहां के विद्रोही गुटों से भी अंदरखाने डील कर रहा है. यानी वो हर तरफ से अपना फायदा निकाल रहा है, सरकार से भी और विद्रोहियों से भी. भारत को अब ये बात साफ हो गई है कि म्यांमार के विद्रोही इलाकों में चीन की पकड़ मज़बूत होती जा रही है. ऐसे में भारत को अपनी नीति और प्लानिंग पर तेज़ी से काम करना पड़ेगा, नहीं तो चीन यहां भी गेम जीत जाएगा.

By Rocky

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